← Isaiah (12/66) → |
1. | उस समय तुम कहोगे: “हे यहोवा, मैं तेरे गुण गाता हूँ! तू मुझ से कुपित रहा है किन्तु अब मुझ पर क्रोध मत कर! तू मुझ पर अपना प्रेम दिखा।” |
2. | परमेश्वर मेरी रक्षा करता है। मुझे उसका भरोसा है। मुझे कोई भय नहीं है। वह मेरी रक्षा करता है। यहोवा याह मेरी शक्ति है। वह मुझको बचाता है, और मैं उसका स्तुति गीत गाता हूँ। |
3. | तू अपना जल मुक्ति के झरने से ग्रहण कर। तभी तू प्रसन्न होगा। |
4. | फिर तू कहेगा, “यहोवा की स्तुति करो! उसके नाम की तुम उपासना किया करो! उसने जो कार्य किये हैं उसका लोगों से बखान करो। तुम उनको बताओ कि वह कितना महान है!” |
5. | तुम यहोवा के स्तुति गीत गाओ! क्यों क्योंकि उसने महान कार्य किये हैं! इस शुभ समाचार को जो परमेशवर का है, सारी दुनियाँ में फैलाओ ताकि सभी लोग ये बातें जान जायें। |
6. | हे सिय्योन के लोगों, इन सब बातों का तुम उद्घोष करो! वह इस्राएल का पवित्र (शक्तिशाली) ढंग से तुम्हारे साथ है। इसलिए तुम प्रसन्न हो जाओ! |
← Isaiah (12/66) → |