Genesis (6/50)  

1. पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या बढ़ती रही। इन लोगों के लड़कियाँ पैदा हुईं। परमेश्वर के पुत्रों ने देखा कि ये लड़कियाँ सुन्दर हैं। इसलिए परमेश्वर के पुत्रों ने अपनी इच्छा के अनुसार जिससे चाहा उसी से विवाह किया। इन स्त्रियों ने बच्चों को जन्म दिया। तब यहोवा ने कहा, “मनुष्य शरीर ही है। मैं सदा के लिए इनसे अपनी आत्मा को परेशान नहीं होने दूँगा। मैं उन्हें एक सौ बीस वर्ष का जीवन दूँगा।” इन दिनों और बाद में भी नेफिलिम लोग उस देश में रहते थे। ये प्रसिद्ध लोग थे। ये लोग प्राचीन काल से बहुत वीर थे।
2. पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या बढ़ती रही। इन लोगों के लड़कियाँ पैदा हुईं। परमेश्वर के पुत्रों ने देखा कि ये लड़कियाँ सुन्दर हैं। इसलिए परमेश्वर के पुत्रों ने अपनी इच्छा के अनुसार जिससे चाहा उसी से विवाह किया। इन स्त्रियों ने बच्चों को जन्म दिया। तब यहोवा ने कहा, “मनुष्य शरीर ही है। मैं सदा के लिए इनसे अपनी आत्मा को परेशान नहीं होने दूँगा। मैं उन्हें एक सौ बीस वर्ष का जीवन दूँगा।” इन दिनों और बाद में भी नेफिलिम लोग उस देश में रहते थे। ये प्रसिद्ध लोग थे। ये लोग प्राचीन काल से बहुत वीर थे।
3. पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या बढ़ती रही। इन लोगों के लड़कियाँ पैदा हुईं। परमेश्वर के पुत्रों ने देखा कि ये लड़कियाँ सुन्दर हैं। इसलिए परमेश्वर के पुत्रों ने अपनी इच्छा के अनुसार जिससे चाहा उसी से विवाह किया। इन स्त्रियों ने बच्चों को जन्म दिया। तब यहोवा ने कहा, “मनुष्य शरीर ही है। मैं सदा के लिए इनसे अपनी आत्मा को परेशान नहीं होने दूँगा। मैं उन्हें एक सौ बीस वर्ष का जीवन दूँगा।” इन दिनों और बाद में भी नेफिलिम लोग उस देश में रहते थे। ये प्रसिद्ध लोग थे। ये लोग प्राचीन काल से बहुत वीर थे।
4. पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या बढ़ती रही। इन लोगों के लड़कियाँ पैदा हुईं। परमेश्वर के पुत्रों ने देखा कि ये लड़कियाँ सुन्दर हैं। इसलिए परमेश्वर के पुत्रों ने अपनी इच्छा के अनुसार जिससे चाहा उसी से विवाह किया। इन स्त्रियों ने बच्चों को जन्म दिया। तब यहोवा ने कहा, “मनुष्य शरीर ही है। मैं सदा के लिए इनसे अपनी आत्मा को परेशान नहीं होने दूँगा। मैं उन्हें एक सौ बीस वर्ष का जीवन दूँगा।” इन दिनों और बाद में भी नेफिलिम लोग उस देश में रहते थे। ये प्रसिद्ध लोग थे। ये लोग प्राचीन काल से बहुत वीर थे।
5. यहोवा ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य बहुत अधिक पापी हैं। यहोवा ने देखा कि मनुष्य लगातार बुरी बातें ही सोचता है।
6. यहोवा को इस बात का दुःख हुआ, कि मैंने पृथ्वी पर मनुष्यों को क्यों बनाया? यहोवा इस बात से बहुत दुःखी हुआ।
7. इसलिए यहोवा ने कहा, “मैं अपनी बनाई पृथ्वी के सारे लोगों को खत्म कर दूँगा। मैं हर एक व्यक्ति, जानवर और पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीवजन्तु को खत्म करूँगा। मैं आकाश के पक्षियों को भी खत्म करुँगा। क्यों? क्योंकि मैं इस बात से दुःखी हूँ कि मैंने इन सभी चीजों को बनाया।”
8. लेकिन पृथ्वी पर यहोवा को खुश करने वाला एक व्यक्ति था—नूह।
9. यह कहानी नूह के परिवार की है। अपने पूरे जीवन में नूह ने सदैव परमेश्वर का अनुसरण किया।
10. नूह के तीन पुत्र थे, शेम, हाम और येपेत।
11. परमेश्वर ने पृथ्वी पर दृष्टि की और उसने देखा कि पृथ्वी को लोगों ने बर्बाद कर दिया हैं। हर जगह हिंसा पैली हुई है। लोग पापी और भ्रष्ट हो गए है, और उन्होंने पृथ्वी पर अपना जीवन बर्बाद कर दिया है।
12. परमेश्वर ने पृथ्वी पर दृष्टि की और उसने देखा कि पृथ्वी को लोगों ने बर्बाद कर दिया हैं। हर जगह हिंसा पैली हुई है। लोग पापी और भ्रष्ट हो गए है, और उन्होंने पृथ्वी पर अपना जीवन बर्बाद कर दिया है।
13. इसलिए परमेश्वर ने नूह से कहा, “सारे लोगों ने पृथ्वी को क्रोध और हिंसा से भर दिया है। इसलिए मैं सभी जीवित प्राणियों को नष्ट करूँगा। मैं उनको पृथ्वी से हटाऊँगा।
14. गोपेर की लकड़ी का उपयोग करो और अपने लिए एक जहाज बनाओ। जहाज में कमरे बनाओ और उसे राल से भीतर और बाहर पोत दो।
15. “जो जहाज मैं बनवाना चाहता हूँ उसका नाप तीन सौ हाथ लम्बाई, पचास हाथ चौड़ाई, तीस हाथ ऊँचाई है।
16. जहाज के लिए छत से करीब एक हाथ नीचे एक खिड़की बनाओ जहाज की बगल में एक दरवाजा बनाओ। जहाज में तीन मंजिलें बनाओ। ऊपरी मंजिल, बीच की मंजिल और नीचे की मंजिल।”
17. “तुम्हें जो बता रहा हूँ उसे समझो। मैं पृथ्वी पर बड़ा भारी जल का बाढ़ लाऊँगा। आकाश के नीचे सभी जीवों को मैं नष्ट कर दूँगा। पृथ्वी के सभी जीव मर जायेंगे।
18. किन्तु मैं तुमको बचाऊँगा। तब मैं तुम से एक विशेष वाचा करूँगा। तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पत्नी, तुम्हारे पुत्रों की पत्नियाँ सभी जहाज़ में सवार होगें।
19. साथ ही साथ पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जोड़े भी तुम्हें लाने होंगे। हर एक के नर और मादा को जहाज़ में लाओ। अपने साथ उनको जीवित रखो।
20. पृथ्वी की हर तरह की चिड़ियों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर तरह के जनावरों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीव के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर प्रकार के जानवरों के नर और मादा तुम्हारे साथ होंगे। जहाज़ पर उन्हें जीवित रखो।
21. पृथ्वी के सभी प्रकार के भोजन भी जहाज़ पर लाओ। यह भोजन तुम्हारे लिए तथा जानवरों के लिए होगा।”
22. नूह ने यह सब कुछ किया। नूह ने परमेश्वर की सारी आज्ञाओं का पालन किया।

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