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1. | तब यहोवा का वचन मेरे पास फिर आया। |
2. | उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र इस्राएल के पर्वतों की ओर मुड़ो। उनके विरुद्ध मेरे पक्ष में कहो। |
3. | उन पर्वतों से यह कहो: ‘इस्राएल के पर्वतों, मेरे स्वामी यहोवा की ओर से यह सन्देश सुनो! मेरे स्वामी यहोवा पहाड़ियों, पर्वतों, घाटियों और खार—खड्डों से यह कहता है। ध्यान दो! मैं (परमेश्वर) शत्रु को तुम्हारे विरुद्ध लड़ने के लिये ला रहा हूँ। मैं तुम्हारे उच्च—स्थानों को नष्ट कर दूँगा। |
4. | तुम्हारी वेदियों को तोड़ कर टुकड़े—टुकड़े कर दिया जायेगा। तुम्हारी सुगन्धि चढ़ाने की वेदियाँ ध्वस्त कर दी जाएंगी! और मैं तुम्हारे शवों को तुम्हारी गन्दी मूर्तियों के सामने फेकूँगा। |
5. | मैं इस्राएल के लोगों के शवों को उनके देवताओं की गन्दी मूर्तियों के सामने फेंकूँगा। मैं तुम्हारी हड्डियों को तुम्हारी वेदियों के चारों ओर बिखेरूँगा। |
6. | जहाँ कहीं तुम्हारे लोग रहेंगे उन पर विपत्तियाँ आएंगी। उनके नगर पत्थरों के ढेर बनेंगे। उनके उच्च स्थान नष्ट किये जाएंगे। क्यों इसलिये कि उन पूजा स्थानों का उपयोग दुबारा न हो सके। वे सभी वेदियाँ नष्ट कर दी जायेंगी। लोग फिर कभी उन गन्दी मूर्तियों को नहीं पूजेंगे। उन सुगन्धि—वेदियों को ध्वस्त किया जाएगा। जो चीजें तुम बनाते हो वे पूरी तरह नष्ट की जाएंगी। |
7. | तुम्हारे लोग मारे जाएंगे और तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ!’” |
8. | परमेश्वर ने कहा, “किन्तु मैं तुम्हारे कुछ लोगों को बच निकलने दूँगा। वे थोड़े समय तक विदेशों में रहेंगे। मैं उन्हें बिखेरूँगा और अन्य देशों में रहने के लिये विवश करूँगा। |
9. | तब वे बचे हुए लोग बन्दी बनाए जाएंगे। वे विदेशों में रहने को विवश किये जाएंगे। किन्तु वे बचे हुए लोग मुझे याद रखेंगे। मैंने उनकी आत्मा (हृदय) को खण्डित किया। जिन पापों को उन्होंने किया, उसके लिये वे स्वयं ही घृणा करेंगे। बीते समय में वे मुझसे विमुख हुए थे और दूर हो गए थे। वे अपनी गन्दी मूर्तियों के पीछे लगे हुए थे। वे उस स्त्री के समान थे जो अपने पति को छोड़कर, किसी दूसरे पुरुष के पीछे दौड़ने लगी। उन्होंने बड़े भयंकर पाप किये। |
10. | किन्तु वे समझ जाएंगे कि मैं यहोवा हूँ और वे यह जानेंगे कि यदि मैं कुछ करने के लिये कहूँगा तो मैं उसे करुँगा। वे समझ जायेंगे कि वे सब विपत्तियाँ जो उन पर आई हैं, मैंने डाली हैं।” |
11. | तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “हाथों से ताली बजाओं और अपने पैर पीटो। उन सभी भयंकर चीजों के विरुद्ध कहो जिन्हें इस्राएल के लोगों ने किया है। उन्हें चेतावनी दो कि वे रोग और भूख से मारे जाएंगे। उन्हें बताओ कि वे युद्ध में मारे जाएंगे। |
12. | दूर के लोग रोग से मरेंगे। समीप के लोग तलवार से मारे जाएंगे। जो लोग नगर में बचे रहेंगे, वे भूख से मरेंगे। मैं तभी क्रोध करना छोड़ूँगा, |
13. | और केवल तभी तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। तुम यह तब समझोगे जब तुम अपने शवों को गन्दी मूर्तियों के सामने और वेदियों के चारों ओर देखोगे। तुम्हारे पूजा के उन हर स्थानों के निकट, हर एक ऊँची पहाड़ी, पर्वत तथा हर एक हरे वृक्ष और पत्ते वाले हर एक बांज वृक्ष के नीचे, वे शव होंगे। उन सभी स्थानों पर तुमने अपनी बलि—भेंट की है। वे तुम्हारी गन्दी मूर्तियों के लिए मधुर गन्ध थी। |
14. | किन्तु मैं अपना हाथ तुम लोगों पर उठाऊँगा और तुम्हें और तुम्हारे लोगों को जहाँ कही वे रहे, दण्ड दूँगा! मैं तुम्हारे देश को नष्ट करूँगा! यह दिबला मरूभूमि से भी अधिक सूनी होगी। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!” |
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