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1. | “मनुष्य के पुत्र, गोग के विरुद्ध मेरे लिये कहो। उससे कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘गोग, तुम मेशेक और तूबल देशों के सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रमुख हो! किन्तु मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ। |
2. | मैं तुम्हें पकड़ूँगा और वापस लाऊँगा। मैं तुम्हें सुदूर उत्तर से लाऊँगा। मैं तुम्हें इस्राएल के पर्वतों के विरुद्ध युद्ध करने के लिये लाऊँगा। |
3. | किन्तु मैं तुम्हारा धनुष तुम्हारे बायें हाथ से झटक कर गिरा दूँगा। मैं तुम्हारे दायें हाथ से तुम्हारे बाण झटक कर गिरा दूँगा। |
4. | तुम इस्राएल के पर्वतों पर मारे जाओगे। तुम, तुम्हारे सैनिक समूह और तुम्हारे साथ के अन्य सभी राष्ट्र युद्ध में मारे जाएंगे। मैं तुमको हर एक प्रकार के पक्षियों, जो माँसभक्षी हैं तथा सभी जंगली जानवरों को भोजन के रूप में दूँगा। |
5. | तुम नगर में प्रवेश नहीं करोगे। तुम खुले मैंदानों में मारे जाओगे। मैंने यह कह दिया है!’” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा। |
6. | परमेश्वर ने कहा, “मैं मागोग और उन व्यक्तियों के, जो समुद्र—तट पर सुरक्षित रहते हैं, विरुद्ध आग भेजूँगा। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ। |
7. | मैं अपना पवित्र नाम अपने इस्राएल लोगों में विदित करूँगा। भविष्य में, मैं अपने पवित्र नाम को, लोगों द्वारा और अधिक बदनाम नहीं करने दूँगा। राष्ट्र जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ। वे समझेंगे कि मैं इस्राएल में परम पवित्र हूँ। |
8. | वह समय आ रहा है! यह घटित होगा!” यहोवा ने ये बातें कहीं! “यह वही दिन है जिसके बारे में मैं कह रहा हूँ। |
9. | “उस समय, इस्राएल के नगरों में रहने वाले लोग उन खेतों में जाएंगे। वे शत्रु के अस्त्र—शस्त्रों को इकट्ठा करेंगे और उन्हें जला देंगे। वे सभी ढालों, धनुषों और बाणों, गदाओं और भालों को जलाएंगे। वे उन अस्त्र—शस्त्रों का उपयोग सात वर्ष तक ईंधन के रूप में करेंगे। |
10. | उन्हें मैंदानों से लकड़ी इकट्ठी नहीं करनी पड़ेगी या जंगलों से ईंधन नहीं काटना पड़ेगा, क्योंकि वे अस्त्र—शस्त्रों का उपयोग ईंधन के रूप में करेंगे। वे कीमती चीजों को सैनिकों से छीनेंगे जिसे वे उनसे चुराना चाहते थे। वे सैनिकों से अच्छी चीजें लेंगे जिन्होंने उनसे अच्छी चीजें ली थीं।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा। |
11. | परमेश्वर ने कहा, “उस समय में गोग को दफनाने के लिये इस्राएल में एक स्थान चुनूँगा। वह मृत सागर के पूर्व में यात्रियों की घाटी में दफनाया जाएगा। यह यात्रियों के मार्ग को रोकेगा। क्यों क्योंकि गोग और उसकी सारी सेना उस स्थान में दफनायी जाएगी। लोग इसे ‘गोग की सेना की घाटी’ कहेंगे। |
12. | इस्राएल का परिवार देश को शुद्ध करने के लिये सात महीने तक उन्हें दफनाएगा। |
13. | देश के साधारण लोग शत्रु के सैनिकों को दफनाएंगे। इस्राएल के लोग उस दिन प्रसिद्ध होंगे जिस दिन मैं अपने लिए सम्मान पाऊँगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा। |
14. | परमेश्वर ने कहा, “लोग मजदूरों को, उन मरे सैनिकों को दफनाने के लिये पूरे समय की नौकरी देंगे। इस प्रकार वे देश को पवित्र करेंगे। वे मजदूर सात महीने तक कार्य करेंगे। वे शवों को ढूँढते हुए चारों ओर जाएंगे। |
15. | वे मजदूर चारों ओर ढूँढते फिरेंगे। यदि उनमें कोई एक हड्डी देखेगा तो वह उसके पास एक चिन्ह बना देगा। चिन्ह वहाँ तब तक रहेगा जब तक कब्र खोदने वाला आता नहीं और गोग की सेना की घाटी में उस हड्डी को दफनाता नहीं। |
16. | वह मृतक लोगों का नगर (कब्रिस्तान) हमोना कहलाएगा। इस प्रकार वे देश को शुद्ध करेंगे।” |
17. | मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा, “मनुष्य के पुत्र, मेरे लिये पक्षियों और जंगली जानवरों से कुछ कहो। उनसे कहो, ‘यहाँ आओ! यहाँ आओ! एक स्थान पर इकट्ठे हो। यह बलि जो मैं तुम्हारे लिये तैयार कर रहा हूँ उसके लिए आओ, उसे खाओ। इस्राएल के पर्वतों पर एक विशाल बलिदान होगा। आओ, माँस खाओ और खून पिओ। |
18. | तुम शक्तिशाली सैनिकों के शरीर का माँस खाओगे। तुम संसार के प्रमुखों का खून पीओगे। वे बाशान के मेढ़ों, मेमनों, बकरों और मोटे बैलों के समान होंगे। |
19. | तुम जितनी चाहो, उतनी चर्बी खा सकते हो और तुम खून तब तक पी सकते हो जब तक तुम्हारे पेट न भरे। तुम मेरी बलि से खाओगे और पीओगे जिसे मैंने तुम्हारे लिये मारा। |
20. | मेरी मेज पर खाने को तुम बहुत सा माँस पा सकते हो। वहाँ घोड़े और रथ सारथी, शक्तिशाली सैनिक और अन्य सभी लड़ने वाले व्यक्ति होंगे।’” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा। |
21. | परमेश्वर ने कहा, “मैं अन्य राष्ट्रों को दिखाऊँगा कि मैंने क्या किया है। वे राष्ट्र मेरा सम्मान करना आरम्भ करेंगे! वे मेरी वह शक्ति देखेंगे जो मैंने शत्रु के विरुद्ध उपयोग की। |
22. | तब, उस दिन के बाद, इस्राएल का परिवार जानेगा कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। |
23. | राष्ट्र यह जान जाएंगे कि इस्राएल का परिवार क्यों दूसरे देशों में बन्दी बनाकर ले जाया गया था। वे जानेंगे कि मेरे लोग मेरे विरुद्ध हो उठे थे। इसलिए मैं उनसे दूर हट गया था। मैंने उनके शत्रुओं को उन्हें हराने दिया। अत: मेरे लोग युद्ध में मारे गए। |
24. | उन्होंने पाप किया और अपने को गन्दा बनाया। अत: मैंने उन्हें उन कामों के लिये दण्ड दिया जो उन्होंने किये। अत: मैंने उनसे अपना मुँह छिपाया है और उनको सहायता देने से इन्कार किया।” |
25. | अत: मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “अब मैं याकूब के परिवार को बन्धुवाई से निकालूँगा। मैंने पूरे इस्राएल के परिवार पर दया की है। मैं अपने पवित्र नाम के लिये विशेष भावना प्रकट करूँगा। |
26. | लोग अपनी लज्जा और मेरे विरुद्ध विद्रोह के सारे समय को भूल जायेंगे। वे अपने देश में सुरक्षा के साथ रहेंगे। कोई भी उन्हें भयभीत नहीं करेगा। |
27. | मैं अपने लोगों को अन्य देशों से वापस लाऊँगा। मैं उन्हें उनके शत्रुओं के देशों से इकट्ठा करुँगा। तब बहुत से राष्ट्र समझेंगे कि मैं कितना पवित्र हूँ। |
28. | वे समझेंगे कि मैं यहोवा उनका परमेश्वर हूँ। क्यों क्योंकि मैंने उनसे उनका घर छुड़वाया और अन्य देशों में बन्दी के रूप में भिजवाया और तब मैंने उन्हें एक साथ इकट्ठा किया और उनके अपने देश में वापस लाया। |
29. | मैं इस्राएल के परिवार में अपनी आत्मा उतारूँगा और उसके बाद, मैं फिर अपने लोगों से दूर नहीं हटूँगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था। |
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