Ezekiel (18/48)  

1. यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
2. “तुम लोग इस कहावत को दुहराते रहते हो। क्यों तुम कहते हो: ‘पूर्वजों ने खट्टे अंगूर खाये, किन्तु बच्चों को खट्टा स्वाद मिला। तुम सोचते हो कि तुम पाप कर सकते हो और भविष्य में कुछ व्यक्ति इसके लिये दण्डित होंगे।’”
3. किन्तु मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि इस्राएल में लोग अब भविष्य में इस कहावत को कभी सत्य नहीं समझेंगे!
4. मैं सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार करुँगा। यह महत्वपूर्ण नहीं होगा कि वह व्यक्ति माता—पिता है अथवा सन्तान। जो व्यक्ति पाप करेगा वह व्यक्ति मरेगा!
5. “यदि कोई व्यक्ति भला है, तो वह जीवित रहेगा। वह भला व्यक्ति लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करता है।
6. वह भला व्यक्ति पहाड़ों पर नहीं जाता और असत्य देवताओं को चढ़ाए गए भोजन में कोई हिस्सा नहीं बंटाता। वह इस्राएल में उन गन्दें देवताओं की मूर्तियों की स्तुति नहीं करता। वह अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार का पाप नहीं करता। वह अपनी पत्नी के साथ, उसके मासिक धर्म के समय, शारीरिक सम्बंध नहीं करता।
7. वह भला व्यक्ति लोगों से अनुचित लाभ नहीं उठाता। यदि कोई व्यक्ति उससे मुद्रा ऋण लेता है तो वह भला व्यक्ति गिरवी रखकर दूसरे व्यक्ति को मुद्रा देता है और जब वह व्यक्ति उसे भुगतान कर देता है तो भला व्यक्ति उसे गिरवी वस्तु वापिस कर देता है। भला व्यक्ति भूखे लोगों को भोजन देता है और वह उन लोगों को वस्त्र देता है जिन्हें उनकी आवश्यकता है।
8. यदि कोई मुद्रा ऋण लेना चाहता है तो भला व्यक्ति उसे ऋण देता है। वह उस ऋण का ब्याज नहीं लेता। भला व्यक्ति कुटिल होने से इन्कार करता है। वह हर व्यक्ति के प्रति सदा भला रहता है। लोग उस पर विश्वास कर सकते हैं।
9. वह मेरे नियमों का पालन करता है। वह मेरे निर्णयों को समझता है और भला एवं विश्वसनीय होना सीखता है। क्योंकि वह भला व्यक्ति है, अतः वह जीवित रहेगा।
10. “किन्तु उस व्यक्ति का कोई ऐसा पुत्र हो सकता है, जो उन अच्छे कामों में से कुछ भी न करता हो। पुत्र चीज़ें चुरा सकता है तथा लोगों की हत्या कर सकता है।
11. पुत्र इन बुरे कामों में से कोई भी काम कर सकता है। वह पहाड़ों पर जा सकता है और असत्य देवताओं को चढ़ाए गए भोजन में हिस्सा बटा सकता है। वह पापी पुत्र अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार करने का पाप कर सकता है।
12. वह गरीब और असहाय लोगों के साथ बुरा व्यवहार कर सकता है। वह लोगों से अनुचित लाभ उठा सकता है। वह गिरवी चीज़ को तब भी न लौटाये जब कोई व्यक्ति अपने ऋण का भुगतान कर चुका हो। वह पापी पुत्र उन गन्दी देवमूर्तियों की प्रार्थना कर सकता है एवं अन्य भयंकर पाप भी कर सकता हैं।
13. किसी व्यक्ति को उस पापी पुत्र से ऋण लेने की आवश्यकता हो सकती है। वह पुत्र उसे मुद्रा ऋण दे सकता है, किन्तु वह उस व्यक्ति को उस ऋण पर ब्याज देने के लिये विवश करेगा। अत: वह पापी पुत्र जीवित नहीं रहेगा। उसने भयंकर पाप किये अत: मार दिया जाएगा और अपनी मृत्यु के लिये वह स्वयं ही उत्तरदायी है।
14. “संभवत: उस पापी पुत्र का भी एक पुत्र हो। किन्तु यह पुत्र अपने पिता द्वारा किये गए पाप—कर्मों को देख सकता है और वह अपने पिता की तरह रहने से इन्कार कर सकता है। वह भला व्यक्ति लोगों के साथ भला व्यवहार करता है।
15. वह व्यक्ति पहाड़ों पर नहीं जाता, न ही असत्य देवताओं को चढ़ाए गए भोजन में हिस्सा बटाता है। वह इस्राएल में उन गन्दी देवमूर्तियों की प्रार्थना नहीं करता। वह अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार का पाप नहीं करता।
16. वह भला पुत्र लोगों से अनुचित लाभ नहीं उठाता। यदि कोई व्यक्ति उससे ऋ ण लेता है तब भला पुत्र चीज गिरवी रखता है और उस व्यक्ति को मुद्रा दे देता है और जब वह व्यक्ति वापस भुगतान करता है तो भला व्यक्ति गिरवी चीज़ वापस कर देता है। भला व्यक्ति भूखों को भोजन देता है और वह उन लोगों को वस्त्र देता है जिन्हें उसकी आवश्यकता है।
17. वह गरीबों की सहायता करता है यदि कोई व्यक्ति ऋण लेना चाहता है तो भला पुत्र उसे मुद्रा उधार दे देता है और वह उस ऋण पर ब्याज नहीं लेता। भला पुत्र मेरे नियमों का पालन करता है और मेरे नियम के अनुसार चलता है! वह भला पुत्र अपने पिता के पापों के कारण मारा नहीं जायेगा! वह भला पुत्र जीवित रहेगा।
18. पिता लोगों को चोट पहुँचा सकता है और चीज़ें चुरा सकता है! वह मेरे लोगों के लिये कभी कुछ अच्छा कार्य नहीं कर सकता। वह पिता अपने पापों के कारण मरेगा। किन्तु पुत्र अपने पिता के पापों के लिये दण्डित नहीं होगा।
19. “तुम पूछ सकते हो, ‘पिता के पाप के लिये पुत्र दण्डित क्यों नहीं होगा’ इसका कारण यह है कि पुत्र भला रहा और उसने अच्छे काम किये! उसने बहुत सावधानी से मेरे नियमों का पालन किया! अत: वह जीवित रहेगा।
20. जो व्यक्ति पाप करता है वही व्यक्ति मार डाला जाता है। एक पुत्र अपने पिता के पापों के लिये दण्डित नहीं होगा और एक पिता अपने पुत्र के पापों के लिये दण्डित नहीं होगा। एक भले व्यक्ति की भलाई केवल उसकी निजी होती है और बुरे व्यक्ति की बुराई केवल उसी की होती है।
21. “इस स्थिति में यदि कोई बुरा व्यक्ति अपना जीवन—क्रम परिवर्तित करता है तो वह जीवित रहेगा, मरेगा नहीं वह व्यक्ति अपने किये पापों को फिर करना छोड़ सकता है। वह बहुत सावधानी से मेरे सभी नियमों का पालन करना आरम्भ कर सकता है। वह न्यायशील और भला हो सकता है।
22. परमेश्वर उसके उन सभी पापों को याद नहीं रखेगा जिन्हें उसने किये। परमेश्वर केवल उसकी भलाई को याद करेगा, अत: वह व्यक्ति जीवित रहेगा।”
23. मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं बुरे लोगों को मरने देना नहीं चाहता। मैं चाहता हूँ कि वे अपने जीवन को बदलें, जिससे वे जीवित रह सकें!
24. “ऐसा भी हो सकता है, कि भला व्यक्ति भला न रह जाय। वह अपने जीवन को बदल सकता है और उन भयंकर पापों का करना आरम्भ कर सकता है जिन्हें बुरे लोगों ने भूतकाल में किया था। (वह बुरा व्यक्ति बदल गया अत: वह जीवित रह सकता है।) अत: यदि वह भला व्यक्ति बदलता है और बुरा बन जाता है तो परमेश्वर उस व्यक्ति के किये अच्छे कामों को याद नहीं रखेगा। परमेश्वर यही याद रखेगा कि वह व्यक्ति उसके विरुद्ध हो गया और उसने पाप करना आरम्भ किया। इसलिये वह व्यक्ति अपने पापों के कारण मरेगा।”
25. परमेश्वर ने कहा, “तुम लोग कह सकते हो, ‘परमेश्वर हमारा स्वामी न्यायपूर्ण नहीं है!’ किन्तु इस्राएल के परिवारों, सुनो। मैं उसी प्रकार का हूँ। तुम लोग ऐसे हो कि जरुर बदलोगे!
26. यदि एक भला व्यक्ति बदलता है और पापी बनता है तो उसे अपने किये गये बुरे कामों के कारण मरना ही चाहिए।
27. यदि कोई पापी व्यक्ति बदलता है और भला तथा न्याय प्रिय बनता है तो वह अपने जीवन को बचाएगा। वह जीवित रहेगा!
28. उस व्यक्ति ने देखा कि वह कितना बुरा था और मेरे पास लौटा। उसने उन बुरे पापों को करना छोड़ दिया जो उसने भूतकाल में किये थे। अत: वह जीवित रहेगा! वह मरेगा नहीं!”
29. इस्राएल के लोगों ने कहा, “यह न्यायपूर्ण नहीं है! मेरा स्वामी यहोवा न्यायपूर्ण नहीं है!” परमेश्वर ने कहा, “मैं उसी प्रकार का हूँ। तुम ऐसे लोग हो जो बदलोगे ही!
30. क्यों क्योंकि इस्राएल के परिवार, मैं हर एक व्यक्ति के साथ न्याय केवल उसके उन कर्मों के लिये करुँगा जिन्हें वह व्यक्ति करता है!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं: “इसलिये मेरे पास लौटो! पाप करना छोड़ो! उन भयंकर चीजों (मूर्तियों) को अपने द्वारा पाप मत करने दो!
31. उन सभी भयंकर चीज़ों (मूर्तियों) को फेंक दो जिन्हें तुमने बनाया, वे तुमसे केवल पाप करवाते हैं! अपने हृदय और आत्मा को बदलो! इस्राएल के लोगों, तुम अपने को क्यों मर जाने देना चाहते हो
32. मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता! तुम हमारे पास आओ और रहो!” वे बातें मेरे स्वामी यहोवा ने कहीं।

  Ezekiel (18/48)