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1. | तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, |
2. | “मनुष्य के पुत्र, यरूशलेम के लोगों को उन भयंकर बुरे कामों को समझाओ जिन्हें उन्होंने किया है। |
3. | तुम्हें कहना चाहिए, ‘मेरा स्वामी यहोवा यरूशलेम के लोगों को यह सन्देश देता है: अपना इतिहास देखो। तुम कनान में उत्पन्न हुए थे। तुम्हारा पिता एमोरी था। तुम्हारी माँ हित्ती थी। |
4. | यरूशलेम, जिस दिन तुम उत्पन्न हुए थे, तुम्हारे नाभि—नाल को काटने वाला कोई नहीं था। किसी ने तुम पर नमक नहीं डाला और तुम्हें स्वच्छ करने के लिये नहलाया नहीं। किसी ने तुम्हें वस्त्र में नहीं लपेटा। |
5. | यरूशलेम, तुम सब तरह से अकेले थे। कोई न तुम्हारे प्रति खेद प्रकट करता था, न ही ध्यान देता था। यरूशलेम, जिन दिन तुम उत्पन्न हुए, तुम्हारे माता—पिता ने तुम्हें मैदान में डाल दिया। तुम तब तक रक्त और झिल्ली में लिपटे थे। |
6. | “‘तब मैं (परमेश्वर) उधर से गुजरा। मैंने तुम्हें वहाँ खून से लथपथ पड़ा पाया। तुम खून में सनी थीं, किन्तु मैंने कहा, ‘जीवित रहो!’ हाँ, तुम रक्त में सनी थीं, किन्तु मैंने कहा, ‘जीवित रहो!’ |
7. | मैंने तुम्हारी सहायता खेत में पौधे की तरह बढ़ने में की। तुम बढ़ती ही गई। तुम एक युवती बनी, तुम्हारा ऋतु—धर्म आरम्भ हुआ, तुम्हारे वक्ष—स्थल बढ़े, तुम्हारे केश बढ़ने आरम्भ हुए। किन्तु तुम तब तक वस्त्रहीन और नंगी थीं। |
8. | मैंने तुम पर दृष्टि डाली। मैंने देखा कि तुम प्रेम के लिये तैयार थीं। इसलिये मैंने तुम्हारे ऊपर अपने वस्त्र डाले और तुम्हारी नग्नता को ढका। मैंने तुमसे विवाह करने का वचन दिया। मैंने तुम्हारे साथ वाचा की और तुम मेरी बनीं।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। |
9. | “‘मैंने तुम्हें पानी से नहलाया। मैंने तुम्हारे रक्त को धोया और मैंने तुम्हारी त्वचा पर तेल मला। |
10. | मैंने तुम्हें एक सुन्दर पहनावा और कोमल चमड़े के जूते दिये। मैंने तुम्हें एक महीन मलमल और एक रेशमी वस्त्र दिया। |
11. | तब मैंने तुम्हें कुछ आभूषण दिये। मैंने तुम्हारी भुजाओं में बाजूबन्द पहनाए और तुम्हारे गले में हार पहनाया। |
12. | मैंने तुम्हें एक नथ, कुछ कान की बालियाँ और सुन्दर मुकुट पहनने के लिये दिया। |
13. | तुम अपने सोने चाँदी के आभूषणों, अपने मलमल और रेशमी वस्त्रों और कढ़ाई किये पहनावे में सुन्दर दिखती थीं! तुमने उत्तम भोजन किया। तुम अत्याधिक सुन्दर थी और तुम रानी बनीं! |
14. | तुम अपनी सुन्दरता के लिये विख्यात हुई। यह सब कुछ इसलिये हुआ क्योंकि मैंने तुम्हें इतना अधिक सुन्दर बनाया!’” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। |
15. | परमेश्वर ने कहा, “किन्तु तुमने अपनी सुन्दरता पर विश्वास करना आरम्भ किया। तुमने अपने यश का उपयोग किया और मुझसे विश्वासघात किया। तुमने एक वेश्या की तरह काम किया जो हर गुजरने वाले की हो। तुमने उन सभी को अपने को अर्पित किया! |
16. | तुमने अपने सुन्दर वस्त्र लिये और उनका उपयोग अपनी पूजा के स्थानों को सजाने के लिये किया। तुमने उन स्थानों पर एक वेश्या की तरह काम किया। तुमने अपने को उस हर व्यक्ति को अर्पित किया जो वहाँ आया! |
17. | तब मेरा दिया हुआ सुन्दर आभूषण तुमने लिया और तुमने उस सोने—चाँदी का उपयोग मनुष्यों की मूर्तियाँ बनाने के लिये किया। तुमने उनके साथ भी यौन—सम्बन्ध किया! |
18. | तब तुमने सुन्दर वस्त्र लिये और उन मूर्तियों के लिये पहनावा बनाया। तुमने यह सुगन्धि और धूप—बत्ती को लिया जो मैंने तुम्हें दी थी तथा उसे उन देवमूर्तियों के सामने चढ़ाया! |
19. | मैंने तुम्हें रोटी, मधु और तेल दिये। किन्तु तुमने वह भोजन अपनी देवमूर्तियों को दिया। तुमने उसे अपने असत्य देवताओं को प्रसन्न करने के लिये सुगन्धि के रूप में भेंट किया। तुमने उन असत्य देवताओं के साथ वेश्या जैसा व्यवहार किया!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। |
20. | परमेश्वर ने कहा, “तुमने अपने पुत्र—पुत्रियाँ लेकर जिन्हें तूने मेरे लिए जन्म दिया, उन मूर्तियों को बलि चढ़ायी। किन्तु ये वे पाप हैं जो तुमने तब किये जब मुझे धोखा दिया और उन असत्य देवताओं के पास चली गई। |
21. | तुमने मेरे पुत्रों की हत्या की और उन्हें आग के द्वारा उन असत्य देवताओं पर चढ़ाया। |
22. | तुमने मुझे छोड़ा और वे भयानक काम किये और तुमने अपना वह समय कभी याद नहीं किया जब तुम बच्ची थीं। तुमने याद नहीं किया कि जब मैंने तुम्हें पाया तब तुम नंगी थीं और रक्त में छटपटा रही थीं। |
23. | “उन सभी बुरी चीजों के बाद, ओह यरूशलेम, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा!” मेरे स्वामी यहोवा ने यह सब बातें कहीं। |
24. | “उन सब बातों के बाद तुमने उस असत्य देवता की पूजा के लिये वह टीला बनाया। तुमने हर एक सड़क के मोड़ पर असत्य देवताओं की पूजा के लिये उन स्थानों को बनाया। |
25. | तुमने अपने टीले हर एक सड़क की छोर पर बनाए। तब तुमने अपने सौन्दर्य का मान घटाया। तुमने इसका उपयोग हर पास से गुजरने वाले को फँसाने के लिये किया। तुमने अपने अधोवस्त्र को ऊपर उठाया जिससे वे तुम्हारी टांगे देख सकें और तब तुम उन लोगों के साथ एक वेश्या के समान हो गई। |
26. | तब तुम उस पड़ोसी मिस्र के पास गई जिसका यौन अंग विशाल था। तुमने मुझे क्रोधित करने के लिये उसके साथ कई बार यौन—सम्बन्ध स्थापित किया। |
27. | इसलिये मैंने तुम्हें दण्ड दिया। मैंने तुम्हें अनुमोदित की गई भूमि का एक भाग ले लिया। मैंने तुम्हारे शत्रु पलिश्तियों की पुत्रियों (नगरों) को वह करने दिया जो वे तुम्हारा करना चाहती थीं। जो पाप तुमने किये उससे उनके भी मर्म पर चोट पहुँची। |
28. | तब तुम अश्शूर के साथ शारीरिक सम्बंध करने गई। किन्तु तुम्हें पर्याप्त न मिल सका। तुम कभी तृप्त न हुई। |
29. | इसलिए तुम कनान की ओर मुड़ी और उसके बाद बाबुल की ओर और तब भी तुम तृप्त न हुई। |
30. | तुम इतनी कमजोर हो। तुमने उन सभी व्यक्तियों (देशों) को पाप करने में लगने दिया। तुमने ठीक एक वेश्या की तरह काम किया।” वे बातें मेरे स्वामी यहोवा ने कहीं। |
31. | “तुमने अपने टीले हर एक सड़क के छोर पर बनाए और तुमने अपनी पूजा के स्थान हर सड़क की मोड़ पर बनाए। और कमाई को तुच्छ जाना। इसलिए तू वेश्या भी न रही। |
32. | तुम व्यभिचारिणी स्त्री। तुमने अपने पति की तुलना में अजनबियों के साथ शारीरिक सम्बंध करना अधिक अच्छा माना। |
33. | अधिकांश वेश्यायें शारीरिक सम्बंध के लिये व्यक्ति को भुगतान करने के लिये विवश करती हैं। किन्तु तुम अपने प्रेमियों को लुभाने के लिये स्वयं भेंट देती हो और उन्हें शारीरिक सम्बधं के लिये आमंत्रित करती हो। तुमने अपने चारों ओर के सभी लोगों को अपने साथ शारीरिक सम्बंध के लिये आमंत्रित किया। |
34. | तुम अधिकांश वेश्यायों के ठीक विपरीत हो। अधिकांश वेश्यायें पुरुषों को अपने भुगतान के लिये विवश करती हैं। किन्तु तुम पुरुषों को अपने साथ शारीरिक सम्बन्ध का भुगतान करती हो।” |
35. | हे वेश्या, यहोवा से आये वचन को सुनो। |
36. | मेरा स्वामी यहोवा ये बातें कहता है: “तुमने अपनी मुद्रा व्यय कर दी है और अपने प्रेमियों तथा गन्दें देवताओं को अपना नंगा शरीर देखने दिया है तथा अपने साथ शारीरिक सम्बन्ध करने दिया है। तुमने अपने बच्चों को मारा है और उनका खून बहाया है। वह उन असत्य देवताओं को तुम्हारी भेंट थीं। |
37. | इसलिये मैं तुम्हारे सभी प्रेमियों को एक साथ इकट्ठा कर रहा हूँ। मैं उन सभी को लाऊँगा जिनसे तुमने प्रेम किया तथा जिन मनुष्यों से घृणा की। मैं सभी को एक साथ ले आऊँगा और उन्हें तुम्हें नग्न देखने दूँगा। वे तुम्हें पूरी तरह नग्न देखेंगे। |
38. | तब मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। मैं तुम्हें किसी हत्यारिन और उस स्त्री की तरह दण्ड दूँगा जिसने व्यभिचार का पाप किया हो। तुम वैसे ही दण्डित होगी मानों कोई क्रोधित और ईष्यालु पति दण्ड दे रहा हो। |
39. | मैं उन सभी प्रेमियों को तुम्हें प्राप्त कर लेने दूँगा। वे तुम्हारे टीलों को नष्ट कर देंगे। वे तुम्हारे पूजा—स्थानों को जला डालेंगे। वे तुम्हारे वस्त्र फाड़ डालेंगे तथा तुम्हारे सुन्दर आभूषण ले लेंगे। वे तुम्हें वैसे वस्त्रहीन और नंगी छोड़े देंगे जैसी तुम तब थीं जब मैंने तुम्हें पाया था। |
40. | वे अपने साथ विशाल जन—समूह लाएंगे और तुमको मार डालने के लिये तुम्हारे ऊपर पत्थर फेकेंगे। तब अपनी तलवार से वे तुम्हें टुकड़े—टुकड़े कर डालेंगे। |
41. | वे तुम्हारा घर (मन्दिर) जला देंगे। वे तुम्हें इस तरह दण्ड देंगे कि सभी अन्य स्त्रियाँ देख सकें। मैं तुम्हारा वेश्या की तरह रहना बन्द कर दूँगा। मैं तुम्हें अपने प्रेमियों को धन देने से रोक दूँगा। |
42. | तब मैं क्रोधित और ईष्यालु होना छोड़ दूँगा। मैं शान्त हो जाऊँगा। मैं फिर कभी क्रोधित नहीं होऊँगा। |
43. | ये सारी बातें क्यों होंगी क्योंकि तुमने वह याद नहीं रखा कि तुम्हारे साथ बचपन में क्या घटित हुआ था। तुमने वे सभी बुरे पाप किये और मुझे क्रोधित किया। इसलिये उन बुरे पापों के लिये मुझे तुमको दण्ड देना पड़ा। किन्तु तुमने और भी अधिक भयंकर योजनाएँ बनाई।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। |
44. | “तुम्हारे बारे में बात करने वाले सब लोगों के पास एक और बात भी कहने के लिये होगी। वे कहेंगे, ‘माँ की तरह ही पुत्री भी है।’ |
45. | तुम अपनी माँ की पुत्री हो। तुम अपने पति या बच्चों का ध्यान नहीं रखती हो। तुम ठीक अपनी बहन के समान हो। तुम दोनों ने अपने पतियों तथा बच्चों से घृणा की। तुम ठीक अपने माता—पिता की तरह हो। तुम्हारी माँ हित्ती थी और तुम्हारा पिता एमोरी था। |
46. | तुम्हारी बड़ी बहन शोमरोन थी। वह तुम्हारे उत्तर में अपने पुत्रियों (नगरों) के साथ रहती थी और तुम्हारी छोटी बहन सदोम की थी। वह अपनी पुत्रियों (नगरों) के साथ तुम्हारे दक्षिण में रहती थी! |
47. | तुमने वे सभी भयंकर पाप किये जो उन्होंने किये। किन्तु तुमने वे काम भी किये जो उनसे भी बुरे थे! |
48. | मैं यहोवा और स्वामी हूँ। मैं सदा जीवित हूँ और अपनी जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ कि तुम्हारी बहन सदोम और उसकी पुत्रियों ने कभी उतने बुरे काम नहीं किये जितने तुमने और तुम्हारी पुत्रियों ने किये।” |
49. | परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारी बहन सदोम और उसकी पुत्रियाँ घमण्डी थीं। उनके पास आवश्यकता से अधिक खाने को था और उनके पास बहुत अधिक समय था। वे दीन—असहाय लोगों की सहायता नहीं करती थीं। |
50. | सदोम और उसकी पुत्रियाँ बहुत अधिक घमण्डी हो गई और मेरे सामने भयंकर पाप करने लगीं। जब मैंने उन्हें उन कामों को करते देखा तो मैंने दण्ड दिया।” |
51. | परमेश्वर ने कहा, “शोमरोन ने उन पापों का आधा किया जो तुमने किये। तुमने शोमरोन की अपेक्षा बहुत अधिक भयंकर पाप किये! तुमने अपनी बहनों की अपेक्षा अत्याधिक भयंकर पाप किये हैं! सदोम और शोमरोन की तुलना करने पर, वे तुमसे अच्छी लगती हैं। |
52. | इसलिए तुम्हें लज्जित होना चाहिए। तुमने अपनी बहनों की, तुलना में, अपने से अच्छी लगनेवाली बनाया है। तुमने भयंकर पाप किये हैं अत: तुम्हें लज्जित होना चाहिए। |
53. | परमेश्वर ने कहा, “मैंने सदोम और उसके चारों ओर के नगरों को नष्ट किया। मैंने शोमरोन और इसके चारों ओर के नगरों को नष्ट किया। यरूशलेम, मैं तुम्हें नष्ट करूँगा। किन्तु मैं उन नगरों को फिर से बनाऊँगा। यरूशलेम, मैं तुमको भी फिर से बनाऊँगा |
54. | मैं तुम्हें आराम दूँगा। तब तुम उन भयंकर पापों को याद करोगे जो तुमने किये तथा तुम लज्जित होगे। |
55. | इस प्रकार तुम और तुम्हारी बहनें फिर से बनाई जाएंगी। सदोम और उसके चारों ओर के नगर, शोमरोन और उसके चारों ओर के नगर तथा तुम और तुम्हारे चारों ओर के नगर फिर से बनाए जाएंगे।” |
56. | परमेश्वर ने कहा, “अतीत काल में तुम घमण्डी थीं और अपनी बहन सदोम की हँसी उड़ाती थीं। किन्तु तुम वैसा फिर नहीं कर सकोगी। |
57. | तुमने यह दण्डित होने से पहले अपने पड़ोसियों द्वारा हँसी उड़ाना आरम्भ किये जाने के पहले, किया था। एदोम की पुत्रियाँ (नगर) तथा पलिश्ती अब तुम्हारी हँसी उड़ा रही हैं। |
58. | अब तुम्हें उन भयंकर पापों के लिये कष्ट उठाना पड़ेगा जो तुमने किये।” यहोवा ने ये बातें कहीं। |
59. | मेरे स्वामी यहोवा ने ये सब चीजें कहीं, “तुमने अपने विवाह की प्रतिज्ञा भंग की। तुमने हमारी वाचा का आदर नहीं किया। |
60. | किन्तु मुझे वह वाचा याद है जो उस समय की गई थी जब तुम बच्ची थीं। मैंने तुम्हारे साथ वाचा की थी जो सदैव चलती रहने वाली थी। |
61. | मैं तुम्हारी बहनों को तुम्हारे पास लाऊँगा और मैं उन्हें तुम्हारी पुत्रियाँ बनाऊँगा। यह हमारी वाचा में नहीं था, किन्तु मैं यह तुम्हारे लिये करुँगा। तब तुम उन भयंकर पापों को याद करोगी, जिन्हें तुमने किया और तुम लज्जित होगी। |
62. | अत: मैं तुम्हारे साथ वाचा करूँगा, और तुम जानोगी कि मैं यहोवा हूँ। |
63. | मैं तुम्हारे प्रति अच्छा रहूँगा जिससे तुम मुझे याद करोगी और उन पापों के लिये लज्जित होगी जो तुमने किये। मैं तुम्हें शुद्ध करुँगा और तुम्हें फिर कभी लज्जित नहीं होना पड़ेगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। |
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