← Exodus (30/40) → |
1. | परमेश्वर ने मूसा से कहा, “बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाओ। तुम इस वेदी का उपयोग धूप जलाने के लिए करोगे। |
2. | तुम्हें वेदी को वर्गाकार अट्ठारह इंच लम्बी और अट्ठारह इंच चौड़ी बनानी चाहिए। यह छत्तीस इंच ऊँची होनी चाहिए। चारों कोनों पर सींग लगे होने चाहिए। ये सींग वेदी के साथ एक ही इकाई के रूप में वेदी के साथ जड़े जाने चाहिए। |
3. | वेदी के ऊपरी सिरे तथा उसकी सभी भुजाओं को शुद्ध सोने से मढ़ो। वेदी के चारों ओर सोने की पट्टी लगाओ। |
4. | इस पट्टी के नीचे सोने के दो छल्ले होने चाहिए। वेदी के दूसरी ओर भी सोने के दो छल्ले होने चाहिए। ये छल्ले वेदी को ले जाने के लिए बल्लियों को फँसाने के लिए होंगे। |
5. | बल्लियों को भी बबूल की लकड़ी से ही बनाओ। बल्लियों को सोने से मढ़ो। |
6. | वेदी को विशेष पर्दे के सामने रखो। साक्षीपत्र का सन्दूक उस पर्दे के दूसरी ओर है। उस सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन के सामने वेदी रहेगी। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलूँगा। |
7. | “हारून हर प्रातः सुगन्धित धूप वेदी पर जलाएगा। वह यह तब करेगा जब वह दीपकों की देखभाल करने आएगा। |
8. | उसे शाम को जब वह दीपकों की देखभाल करने आए फिर धूप जलानी चाहिए। जिससे यहोवा के सामने नित्य प्रति सुबह शाम धूप जलती रहे। |
9. | इस वेदी का उपयोग किसी अन्य प्रकार की धूप या होमबलि के लिए मत करना। इस वेदी का उपयोग अन्नबलि या पेय भेंट के लिए मत करना। |
10. | “वर्ष में एक बार हारून यहोवा को विशेष बलिदान अवश्य चढ़ाए। हारून पापबलि के खून का उपयोग लोगों के पापों को धोने के लिए करेगा, हारून इस वेदी के सींगों पर यह करेगा। यह दिन प्रायश्चित का दिन कहलाएगा। यह यहोवा के लिए अति पवित्र दिन होगा।” |
11. | यहोवा ने मूसा से कहा, |
12. | “इस्राएल के लोगों को गिनो जिससे तुम जानोगे कि वहाँ कितने लोग हैं। जब कभी यह किया जाएगा हर एक व्यक्ति अपने जीवन के लिए यहोवा को धन देगा। यदि हर एक व्यक्ति यह करेगा तो लोगों के साथ कोई भी भयानक घटना घटित नहीं होगी। |
13. | हर व्यक्ति जिसे गिना जाए वह (आधा शेकेल चाँदी अवश्य दे। |
14. | हर एक पुरुष जिसे गिना जाए और जो बीस वर्ष या उससे अधिक आयु का हो,) यहोवा को यह भेंट देगा। |
15. | धनी लोग आधे शेकेल से अधिक नहीं देंगे और गरीब लोग आधे शेकेल से कम नहीं देंगे। सभी लोग यहोवा को बराबर ही भेंट देंगे यह तुम्हारे जीवन का मूल्य होगा। |
16. | इस्राएल के लोगों से यह धन इकट्ठा करो। मिलापवाले तम्बू में सेवा के लिए इसका उपयोग करो। यह भुगतान यहोवा के लिए अपने लोगों को याद करने का एक तरीका होगा। वे अपने जीवन के लिए भुगतान करते रहेंगे।” |
17. | यहोवा ने मूसा से कहा, |
18. | “एक काँसे की चिलमची बनाओ और इसे काँसे के आधार पर रखो। तुम इसका उपयोग हाथ पैर धोने के लिए करोगे। चिलमची को मिलापवाले तम्बू और वेदी के बीच रखो। चिलमची को पानी से भरो। |
19. | हारून और उसके पुत्र इस चिलमची के पानी से अपने हाथ पैर धोएंगे। |
20. | हर बार जब वे मिलापवले तम्बू में आएँ तो पानी से हाथ पैर अवश्य धोएँ, इससे वे मरेंगे नहीं। जब वे वेदी के समीप यहोवा की सेवा करने या धूप जलाने आएं, |
21. | तो वे अपने हाथ पैर अवश्य धोएँ, इससे वे मरेंगे नहीं। यह ऐसा नियम होगा जो हारून और उसके लोगों के लिए सदा बना रहेगा। यह नियम हारून के उन सभी लोगों के लिए बना रहेगा जो भविष्य में होंगे।” |
22. | तब यहोवा ने मूसा से कहा, |
23. | “बहुत अच्छे मसाले लाओ। बारह पौंड द्रव लोबान लाओ और इस तोल का आधा अर्थात् छः पौंड, सुगन्धित दालचीनी और बारह पौंड सुगन्धित छाल, |
24. | और बारह पौंड तेजपात लाओ। इन्हें नापने के लिए प्रामाणिक बाटों का उपयोग करो। एक गैलन जैतून का तेल भी लाओ। |
25. | “सुगन्धित अभिषेक का तेल बनाने के लिए इन सभी चीज़ों को मिलाओ। |
26. | मिलापवाले तम्बू और साक्षीपत्र के सन्दूक पर इस तेल को डालो। यह इस बात का संकेत करेगा कि इन चीज़ों का विशेष उद्देश्य है। |
27. | मेज़ और मेज़ पर की सभी तश्तरियों पर तेल डालो। इस तेल को दीपक और सभी उपकरणों पर डालो। |
28. | धूप वाली वेदी पर तेल डालो। यहोवा के लिए होमबलि वाली वेदी पर भी तेल डालो। उस वेदी की सभी चीज़ों पर यह तेल डालो। कटोरे और उसके नीचे के आधार पर यह तेल डालो। |
29. | तुम इन सभी चीज़ों को समर्पित करोगे। वे अत्यन्त पवित्र होंगी। कोई भी चीज जो इन्हें छूएगी वह भी पवित्र हो जाएगी। |
30. | “हारून और उसके पुत्रों पर तेल डालो। यह स्पष्ट करेगा कि वे मेरी विशेष डंग से सेवा करते हैं। तब ये मेरी सेवा याजक की तरह कर सकते हैं। |
31. | इस्राएल के लोगों से कहो कि अभिषेक का तेल मेरे लिए सदैव अति विशेष होगा। |
32. | साधारण सुगन्ध की तरह कोई भी इस तेल का उपयोग नहीं करेगा। उस प्रकार कोई सुगन्ध न बनाओ जिस प्रकार तुमने यह विशेष तेल बनाया। यह तेल पवित्र है और यह तुम्हारे लिए अति विशेष होना चाहिए। |
33. | यदि कोई इस पवित्र तेल की तरह सुगन्ध बनाए और उसे किसी विदेशी को दे तो उस व्यक्ति को अपने लोगों से अवश्य अलग कर दिया जाये।” |
34. | तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इन सुगन्धित मसालों को लो: रसगंधा, कस्तूरी गंधिका, बिरोजा और शुद्ध लोबान। सावधानी रखो कि तुम्हारे पास मसालों की बराबर मात्रा हो। |
35. | मसालों को सुगन्धित धूप बनाने के लिए आपस में मिलाओ। इसे उसी प्रकार करो जैसा सुगन्ध बनाने वाला व्यक्ति करता है। इस धूप में नमक भी मिलाओ। यह इसे शुद्ध और पवित्र बनाएगा। |
36. | कुछ धूप को तब तक पीसते रहो जब तक उसका बारीक चूर्ण न हो जाये। मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने इस चूर्ण को रखो। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलूँगा। तुम्हें इस धूप के चूर्ण का उपयोग इसके अति विशेष अवसर पर ही करना चाहिए। |
37. | तुम्हें इस चूर्ण का उपयोग केवल विशेष ढँग से यहोवा के लिए ही करना चाहिए। तुम इस धूप को विशेष ढँग से बनाओगे। इस विशेष ढँग का उपयोग अन्य कोई धूप बनाने के लिए मत करो। |
38. | कोई व्यक्ति अपने लिए कुछ ऐसे धूप बनाना चाह सकता है जिससे वह सुगन्ध का आनन्द ले सके। किन्तु यदि वह ऐसा करे तो उसे अपने लोगों से अवश्य अलग कर दिया जाये।” |
← Exodus (30/40) → |