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1. | “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में ले जायेगा जिसे अपना बनाने के लिए तुम उसमें जा रहे हो। यहोवा तुम्हारे लिए बहुत से राष्ट्रों को बलपूर्वक हटाएगा—हित्ती, गिर्गाशी, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी, सात तुमसे बड़े और अधिक शक्तिशाली राष्ट्रों को । |
2. | यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर इन राष्ट्रों को तुम्हारे अधीन करेगा और तुम उन्हें हराओगे। तुम्हें उन्हें पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। उनके साथ कोई सन्धि न करो। उन पर दया न करो। |
3. | उन लोगों में से किसी के साथ विवाह न करो, और उन राष्ट्रों के किसी व्यक्ति के साथ अपने पुत्र और पुत्रियों का विवाह न करो। |
4. | क्यों? क्योंकि वे लोग तुम्हें परमेश्वर से दूर ले जायेगें, इसलिये तुम्हारे बच्चे दूसरे देवताओं की सेवा करेंगे और यहोवा तुम पर बहुत क्रोधित होगा। वह शीघ्रता से तुम्हें नष्ट कर देगा। |
5. | “तुम्हें इन राष्ट्रों के साथ यह करना चाहिएः तुम्हें उनकी वेदियाँ नष्ट करनी चाहिए और विशेष पत्थरों को टुकड़ों मे तोड़ डालना चाहिए। उनके अशेरा स्तम्भों को काट डालो और उनकी मूतिर्यों को जला दो! |
6. | क्यों? क्योंकि तुम यहोवा के अपने लोग हो। तुम योहवा की निज सम्पत्ति हो। संसार के सभी लोगों में से योहवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें विशेष लोग, ऐसे लोग जो उसके अपने हैं, चुना। |
7. | यहोवा तुमसे क्यों प्रेम करता है और तुम्हें उसने क्यों चुना? इसलिए नहीं कि अन्य लोगों की तुलना में तुम्हारी संख्या बहुत अधिक है। तुम सभी लोगों में सबसे कम थे। |
8. | किन्तु यहोवा तुमको अपनी बड़ी शक्ति के द्वारा मिस्र के बाहर लाया। उसने तुम्हें दासता से मुक्त किया। उसने मिस्र के सम्राट फिरौन की अधीनता से तुम्हें स्वतन्त्र किया। क्यों? क्योंकि यहोवा तुमसे प्रेम करता है और तुम्हारे पूर्वजों को दिए गए वचन को पूरा करना चाहता था। |
9. | “इसलिए याद रखो कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर ही एकमात्र परमेश्वर है, और वही विश्वसनीय है! वह अपनी वाचा को पूरा करता है। वह उन सभी लोगों से प्रेम करता तथा उन पर दया करता है जो उससे प्रेम करते और उसके आदेशों का पालन करते हैं। वह हजारों पीढ़ीयों तक प्रेम और दया करता रहता है। |
10. | किन्तु यहोवा उन लोगों को दण्ड देता है जो उससे घृणा करते हैं। वह उनको नष्ट करेगा। वह उस व्यक्ति को दण्ड देने में देर नहीं करेगा जो उससे घृणा करता है। |
11. | इसलिए तुम्हें उन आदेशों, विधियों और नियमों के पालन में सावधान रहना चाहिए जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। |
12. | “यदि तुम मेरे इन नियमों पर ध्यान दोगे और उनके पालन में सावधान रहोगे तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमसे प्रेम की वाचा का पालन करेगा। उसने यह वचन तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। |
13. | वह तुमसे प्रेम करेगा और तुम्हें आशीर्वाद देगा। तुम्हारे राष्ट्र में लोग बराबर बढ़ते जाएंगे। वह तुम्हें बच्चे होने का आशीर्वाद देगा। वह तुम्हारे खेतों में अच्छी फसल का आशीर्वाद देगा वह तुम्हें अन्न, नई दाखमधु और तेल देगा। वह तुम्हारी गायों को बछड़े और तुम्हारी भेड़ों को मेमने पैदा करने का आशीर्वाद देगा। तुम वे सभी आशीर्वाद उस देश में पाओगे जिसे तुम्हें देने का वचन यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। |
14. | “तुम अन्य लोगों से अधिक आशीर्वाद पाओगे। हर एक पति—पत्नी बच्चे उत्पन्न करने योग्य होंगे। तुम्हारे पशु बछड़े उत्पन्न करने योग्य होंगे। |
15. | और यहोवा तुमसे सभी बीमारियों को दूर करेगा। यहोवा तुमको उन भयंकर बीमारियों से बचायेगा तथा उन भयंकर बीमारियों को उन सभी लोगों को देगा जो तुमसे घृणा करते हैं। |
16. | तुम्हें उन सभी लोगों को नष्ट करना चाहिए जिन्हें हराने में यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सहायता करता है। उन पर दया न करो। उनके देवताओं की सेवा न करो! क्यों? क्योंकि यदि तुम उनके देवताओं की सेवा करोगे तो तुम्हें दण्ड भुगतना होगा। |
17. | “अपने मन में यह न सोचो, ‘ये राष्ट्र हम लोगों से अधिक शक्तिशाली हैं। हम उन्हें बलपूर्वक कैसे भगा सकते हैं?’ |
18. | तुम्हें उनसे डरना नहीं चाहिए। तुम्हें वह याद रखना चाहिए जो परमेशवर, तुम्हारे यहोवा ने फिरौन और मिस्र के लोगों के साथ किया। |
19. | जो बड़ी विपत्तियाँ उसने दीं तुमने उन्हें देखा। तुमने उसके किये चमत्कार और आश्चर्यों को देखा। तुमने यहोवा की बड़ी शक्ति और दृढ़ता को, तुम्हें बाहर लाने में उपयोग करते देखा। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर उसी शक्ति का उपयोग उन लोगों के विरुद्ध करेगा जिनसे तुम डरते हो। |
20. | “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर, बड़ी बर्रो को उन सभी लोगों का पता लगाने के लिए भेजेगा जो तुमसे भागे हैं और अपने को छिपाया है। यहोवा उन सभी लोगों को नष्ट करेगा। |
21. | तुम उनसे डरो नहीं क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ है। वह महान और विस्मयकारी परमेश्वर है। |
22. | यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन राष्ट्रों को तुम्हारा देश थोड़ा—थोड़ा करके छोड़ने को विवश करेगा। तुम उन्हें एक ही बार में सभी को नष्ट नहीं कर पाओगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो जंगली जानवरों की संख्या तुम्हारी तुलना में अधिक हो जाएगी। |
23. | किन्तु यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन राष्ट्रों को तुमको देगा। यहोवा उनको युद्ध में भ्रमित कर देगा, जब तक वे नष्ट नहीं होते। |
24. | यहोवा तुम्हें उनके राजाओं को हराने में सहायता करेगा। तुम उन्हें मार डालोगे और संसार भूल जाएगा कि वे कभी थे। कोई भी तुम लोगों को रोक नहीं सकेगा। तुम उन सभी को नष्ट करोगे! |
25. | “तुम्हें उनके देवताओं की मूर्तियों को जला देना चाहिए। तुम्हें उन मूर्तियों पर मढ़े सोने या चाँदी को लेने की इच्छा नहीं रखनी चाहीए। तुम्हें उस सोने और चाँदी को अपने लिए नहीं लेना चाहिए। यदि तुम उसे लोगे तो दण्ड पाओगे। क्यो? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उन मूर्तियों से घृणा करता है |
26. | और तुम्हें अपने घर मे उन मूर्तियों में से कोई लानी नहीं चाहिए जिनसे यहोवा घृणा करता है। यदि तुम उन मूर्तियों को अपने घर में लाते हो तो तुम मूर्तियों की तरह नष्ट हो जाओगे। तुम्हें उन मूर्तियों से घृणा करनी चाहिए। तुम्हें उनसे तीव्र घृणा करनी चाहिए! यहोवा ने उन मूर्तियों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा की है! |
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