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1. | “जिन आदेशों, विधियों और नियमों को यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें सिखाने को मुझे कहा है, वे ये हैं। इनका पालन उस देश में करो जिसमे रहने के लिए तुम प्रवेश कर रहे हो। |
2. | तुम और तुम्हारे वंशजों को जब तक जीवित रहो, यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए । तुम्हें उन सभी नियमों और आदेशों का पालन करना चाहिए जिन्हें मैं तुम्हें दे रहा हूँ। यदि तुम ऐसा करोगे तो उस नये देश में लम्बी उम्र पाओगे। |
3. | इस्राएल के लोगो, इसे ध्यान से सुनो और इन नियमों का पालन करो। तब सब कुछ तुम्हारे साथ अच्छा होगा और तुम एक महान राष्ट्र बनोगे। यहोवा, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर ने, इन सबके लिए वचन दिया है कि तुम बहुत सी अच्छी वस्तुओं से युक्त धरती को, जहाँ दूध और शहद बहता है, प्राप्त करोगे। |
4. | “इस्राएल के लोगो, ध्यान से सुनो! यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक है! |
5. | और तुम्हें यहोवा, अपने परमेश्वर से अपने सम्पूर्ण हृदय, आत्मा और शक्ति से प्रेम करना चाहिए। |
6. | इन आदेशों को सदा याद रखो जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। |
7. | इनकी शिक्षा अपने बच्चों को देने के लिए सावधान रहो। इन आदेशों के बारे में तुम अपने घर में बैठे और सड़क पर घूमते बातें करो। जब तुम लेटो और जब जागो तब इनके बारे में बातें करो। |
8. | इन आदेशों को लिखो और मेरे उपदेशों को याद रखने में सहायता के लिए अपने हाथों पर इसे बांधो तथा प्रतीक रूप मे अपने ललाट पर धारण करो। |
9. | अपने घरों के दरवाजों, खम्भों और फाटकों पर इसे लिखो। |
10. | “यहोवा तुम्हरा परमेश्वर तुम्हें उस देश में ले जाएगा जिसके लिए उसने तुम्हारे पूर्वजों—इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था। तब वह तुम्हें बड़े और सम्पन्न नगर देगा जिनहें तुमने नहीं बनाया। |
11. | यहोवा तुम्हें अच्छी चीजों से भरे घर देगा जिन्हें तुमने वहाँ नहीं रखा। यहोवा तुम्हें कुएँ देगा जिन्हें तुमने नहीं खोदा है। यहोवा तुम्हें अंगूर और जैतून के बाग देगा जिन्हें तुमने नहीं लगाया। तुम्हारे खाने के लिए भरपूर होगा। |
12. | “किन्तु सावधान रहो। यहोवा को मत भूलो जो तुम्हें मिस्र से लाया, जहाँ तुम दास थे। |
13. | यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करो और केवल उसी की सेवा करो। वचन देने के लिए तुम केवल उसी के नाम का उपयोग करोगे। |
14. | तुम्हें अन्य देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए। तुम्हें अपने चारों ओर रहने वाले लोगों के देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए। |
15. | यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सदा तुम्हारे साथ है और यदि तुम दूसरे देवताओं का अनुसरण करोगे तो वह तुम पर बहुत क्रोधित होगा! वह धरती से तुम्हारा सफाया कर देगा। यहोवा अपने लोगों द्वारा अन्य देवताओं की पूजा से घृणा करता है। |
16. | “तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर का परीक्षण उस प्रकार नहीं करना चाहिए जिस प्रकार तुमने मस्सा में किया। |
17. | तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों के पालन के लिए दृढ़ निश्चय रखना चाहिए। तुम्हें उसके सभी उन उपदेशों और नियमों का पालन करना चाहिए जिन्हें उसने तुमको दिया है। |
18. | तुम्हें वे बातें करनी चाहिए जो ठीक और अच्छी अर्थात् यहोवा को प्रसन्न करने वाली हों। तब तुम्हारे लिये हर एक बात ठीक होगी और तुम उस अच्छे देश में जा सकते हो जिसके लिए यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को वचन दिया था |
19. | और तुम अपने सभी शत्रुओं को बलपूर्वक बाहर निकाल सकोगे, जैसा यहोवा ने कहा है। |
20. | “भविष्य में, तुम्हारा पुत्र तुमसे यह पूछ सकता हे कि ‘यहोवा हमारे परमेश्वर ने हमें जो उपदेश, विधि और नियम दिये, उनका अर्थ क्या है?’ |
21. | तब तुम अपने पुत्र से कहोगे, ‘हम मिस्र में फिरौन के दास थे, किन्तु यहोवा हमें बड़ी शक्ति से मिस्र से बाहर लाया। |
22. | यहोवा ने हमें महान, भयंकर चिन्ह और चमत्कार दिखाए। हम लोगों ने उनके द्वारा इन घटनाओं को मिस्र के लोगों, फिरौन और फिरौन के महल के लोगों के साथ होते देखा |
23. | और यहोवा हम लोगों को मिस्र से इसलिए लाया कि वह वो देश हमें दे सके जिसके लिए उसने हमारे पूर्वजों को वचन दिया था। |
24. | यहोवा ने हमें इन सभी उपदेशों के पालन का आदेश दिया। इस प्रकार हम लोग यहोवा, अपने परमेश्वर का सम्मान करते हैं। तब यहोवा सदा हम लोगों को जीवित रखेगा और हम अच्छा जीवन बिताएंगे जैसा इस समय है। |
25. | यदि हम इन सारे नियमों का पालन परमेश्वर के निर्देशों के आधार पर करते हैं तो परमेश्वर हमें अच्छाईयों से भर देगा।’ |
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