← Amos (5/9) → |
1. | इस्राएल के लोगों, इस सन्देश को सुनो, यह शोक सन्देश तुम्हारे विषय में है। |
2. | इस्राएल की कुमारी गिर गई है। वह अब कभी उठेगी नहीं। वह धूली में पड़ी अकेली छोड़ दी गई है। उसे उठाने वाला कोई व्यक्ति नहीं है। |
3. | मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: “हजारों सैनिकों के साथ नगर से जाने वाले अधिकारी केवल सौ सैनिकों के साथ लौंटेंगे। सौ सैनिकों के साथ नगर छोड़ने वाले अधिकारी केवल दस सैनिकों के साथ लौटेंगे।” |
4. | यहोवा इस्राएल के घराने से यह कहता है: “मेरी खोज करते आओ और जीवित रहो। |
5. | किन्तु बेतेल में न खोजो। गिल्गाल मत जाओ। सीमा को पार न करो और बेर्शेबा न जाओ। गिल्गल के लोग बन्दी के रूप में ले जाए जाएंगे और बेतेल नष्ट किया जाएगा। |
6. | यहोवा के पास जाओ और जीवित रहो। यदि तुम यहोवा के यहाँ नहीं जाओगे, तो यूसुफ के घर में आग लगेगी। आग यूसुफ के परिवार को नष्ट करेगी और बेतेल में उसे कोई भी नहीं रोक सकेगा। |
7. | तुम्हें सहायता के लिये यहोवा के पास जाना चाहिये। ये वही है जिसने कचपचिया और मृगशिरा को बनाया। वह अंधकार को प्रात: प्रकाश में बदलता है। वह दिन को अंधेरी रात में बदलता है। वह समुद्र से जल को उठाकर उसे पृथ्वी पर बरसाता है। उसका नाम यहोवा है वह शक्तिशाली नगरों के मजबूत किलों को ढहा देता है।” लोगों, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा तुमने अच्छाई को कड़वाहट में बदला। तुमने औचित्य को मार डाला और इसे धूलि में मिला दिया। |
8. | तुम्हें सहायता के लिये यहोवा के पास जाना चाहिये। ये वही है जिसने कचपचिया और मृगशिरा को बनाया। वह अंधकार को प्रात: प्रकाश में बदलता है। वह दिन को अंधेरी रात में बदलता है। वह समुद्र से जल को उठाकर उसे पृथ्वी पर बरसाता है। उसका नाम यहोवा है वह शक्तिशाली नगरों के मजबूत किलों को ढहा देता है।” लोगों, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा तुमने अच्छाई को कड़वाहट में बदला। तुमने औचित्य को मार डाला और इसे धूलि में मिला दिया। |
9. | तुम्हें सहायता के लिये यहोवा के पास जाना चाहिये। ये वही है जिसने कचपचिया और मृगशिरा को बनाया। वह अंधकार को प्रात: प्रकाश में बदलता है। वह दिन को अंधेरी रात में बदलता है। वह समुद्र से जल को उठाकर उसे पृथ्वी पर बरसाता है। उसका नाम यहोवा है वह शक्तिशाली नगरों के मजबूत किलों को ढहा देता है।” लोगों, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा तुमने अच्छाई को कड़वाहट में बदला। तुमने औचित्य को मार डाला और इसे धूलि में मिला दिया। |
10. | नबी सामाजिक स्थानों पर जाते हैं और उन बुरे कामों के विरूद्ध बोलते हैं जिन्हें लोग किया करते हैं। किन्तु लोग उन नबियों से घृणा करते हैं। नबी सत्य कहते हैं, किन्तु लोग उन नबियों से घृणा करते हैं। |
11. | तुम गरीबों से अनुचित कर वसूलते हो। तुम उनसे ढेर सारा गेहूँ लेते हो और इस धन का उपयोग तुम तराशे पत्थरों से सुन्दर महल बनाने में करते हो। किन्तु तुम उन महलों मे नहीं रहोगे। तुम अंगूरों की बेलों के सुन्दर खेत बनाते हो। किन्तु तुम उनसे प्राप्त दाखमधु को नहीं पीओगे। |
12. | क्यों? क्योंकि मैं तुम्हारे अनेक पापों को जानता हूँ। तुमने, सच ही, कुछ बुरे काम किये हैं। तुमने उचित काम करने वालों को चोट पहुँचाई। तुमने घूस के रूप में धन लिया। गरीब लोगों के साथ अनेक मुकद्दमों में तुमने अन्याय किया। |
13. | उस समय बुद्धिमान चुप रहेंगे। क्यों क्योंकि यह बुरा समय है। |
14. | तुम कहते हो कि परमेश्वर हमारे साथ है। अत: अच्छे काम करो, बुरे नहीं। तब तुम जीवित रहोगे और सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा सच ही तुम्हारे साथ होगा। |
15. | बुराई से घृणा करो। अच्छाई से प्रेम करो। न्यायालयों में न्याय वापस लाओ और तब संभव है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा यूसुफ परिवार के बचे लोगों पर दयालु हो। |
16. | यही कारण है कि मेरा स्वामी सर्वशक्तिमान परमेश्वर यह कह रहा है, “लोग सभी सार्वजनिक स्थानों में रोएंगे, लोग सड़कों पर रोएंगे। लोग पेशेवर रोने वालों को भाड़े पर रखेंगे। |
17. | लोग अंगूर के सभी खेतों में रोएंगे। क्यों क्योंकि मैं वहाँ से निकलूँगा और तुम्हें दण्ड दूँगा।” यहोवा ने यह सब कहा है। |
18. | तुममे से कुछ यहोवा के न्याय के विशेष दिन को देखना चाहते हैं। तुम उस दिन को क्यों देखना चाहते हो यहोवा का विशेष दिन तुम्हारे लिये अन्धकार लाएगा, प्रकाश नहीं। |
19. | तुम किसी सिंह के सामने से बचकर भाग निकलने वाले ऐसे व्यक्ति के समान होगे जिस पर भागते समय रीछ आक्रमण कर देता है और फिर जब वह उस रीछ से भी बच निकलकर किसी घर में जा घुसता है तो वहाँ दीवार पर हाथ रखते ही, उसे साँप डस लेता है! |
20. | अत: यहोवा का विशेष दिन अन्धकार लाएगा, प्रकाश नहीं, यह शोक का समय होगा उल्लास का नहीं। |
21. | “मैं तुम्हारे पवित्र दिनों से घृणा करता हूँ! मैं उन्हें स्वीकार नहीं करूँगा! मैं तुम्हारी धार्मिक सभाओं का आनन्द नहीं लेता! |
22. | यदि तुम होमबलि और अन्नबलि भी दोगे तो मैं स्वीकार नहीं करूँगा। तुम जिन मोटे जानवरों को शान्ति—भेंट के रूप में दोगे उन्हें मैं देखूँगा भी नहीं। |
23. | तुम यहाँ से अपने शोरगुल वाले गीतों को दूर करो। मैं तुम्हारी वीणा के संगीत को नहीं सुनूँगा। |
24. | तुम्हें अपने सारे देश में न्याय को नदी की तरह बहने देना चाहिये। अच्छाई को सदा सरिता की धारा की तरह बहने दो जो कभी सूखती नहीं। |
25. | इस्राएल, तुमने चालीस वर्ष तक मरूभूमि में मुझे बलि और भेंट चढ़ाई। |
26. | तुम अपने राजा (देवता) सक्कुथ और नक्षत्र देवता कैवन की मूर्तियों को लेकर चले। इन देवताओं की मूर्तियों को स्वयं तुमने अपने लिये बनाया था। |
27. | अत: मैं तुम्हें बन्दी बनाकर दमिश्क के पार पहुँचाऊँगा यह सब यहोवा कहता है। उसका नाम सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। |
← Amos (5/9) → |