2Samuel (11/24)  

1. बसन्त में, जब राजा युद्ध पर निकलते हैं, दाऊद ने योआब उसके अधिकारियों और सभी इस्राएलियों को अम्मोनियों को नष्ट करने के लिये भेजा। योआब की सेना ने रब्बा (राजधानी) पर भी आक्रमण किया। किन्तु दाऊद यरूशलेम में रुका।
2. शाम को वह अपने बिस्तर से उठा। वह राजमहल की छत पर चारों ओर घूमा। जब दाऊद छत पर था, उसने एक स्त्री को नहाते देखा। स्त्री बहुत सुन्दर थी।
3. इसलिये दाऊद ने अपने सेवकों को बुलाया और उनसे पूछा कि वह स्त्री कौन थी? एक सेवक ने उत्तर दिया, “वह स्त्री एलीआम की पुत्री बतशेबा है। वह हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी है।”
4. दाऊद ने बतशेबा को अपने पास बुलाने के लिये दूत भेजे। जब वह दाऊद के पास आई तो उसने उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। उसने स्नान किया और वह अपने घर चली गई।
5. किन्तु बतशेबा गर्भवती हो गई। उसने दाऊद को सूचना भेजी। उसने उससे कहा, “मैं गर्भवती हूँ।”
6. दाऊद ने योआब को सन्देश भेजा, “हित्ती ऊरिय्याह को मेरे पास भेजो।” इसलिये योआब ने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेजा।
7. ऊरिय्याह दाऊद के पास आया। दाऊद ने ऊरिय्याह से बात की। दाऊद ने ऊरिय्याह से पूछा कि योआब कैसा है, सैनिक कैसे हैं और युद्ध कैसे चल रहा है।
8. तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “घर जाओ और आराम करो।” ऊरिय्याह ने राजा का महल छोड़ा। राजा ने ऊरिय्याह को एक भेंट भी भेजी।
9. किन्तु ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया। ऊरिय्याह राजा के महल के बाहर द्वारा पर सोया। वह उसी प्रकार सोया जैसे राजा के अन्य सेवक सोये।
10. सेवकों ने दाऊद से कहा, “उरिय्याह अपने घर नहीं गया।” तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “तुम लम्बी यात्रा से आए। तुम घर क्यों नहीं गए?”
11. ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “पवित्र सन्दूक तथा इस्राएल और यहूदा के सैनिक डेरों में ठहरे हैं। मेरे स्वामी योआब और मेरे स्वामी (दाऊद) के सेवक बाहर मैदानों में खेमा डाले पड़े हैं। इसलिये यह अच्छा नहीं कि मैं घर जाऊँ, खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ।”
12. दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “आज यहीं ठहरो। कल मैं तुम्हें युद्ध में वापस भेजूँगा।” ऊरिय्याह उस दिन यरूशलेम में ठहरा। वह अगली सुबह तक रुका।
13. तब दाऊद ने उसे आने और खाने के लिये बुलाया। ऊरिय्याह ने दाऊद के साथ पीया और खाया। दाऊद ने ऊरिय्याह को नशे में कर दिया। किन्तु ऊरिय्याह, फिर भी घर नहीं गया। उस शाम को ऊरिय्याह राजा के सेवकों के साथ राजा के द्वार के बाहर सोया।
14. अगले प्रातःकाल, दाऊद ने योआब के लिये एक पत्र लिखा। दाऊद ने ऊरिय्याह को वह पत्र ले जाने को दिया।
15. पत्र में दाऊद ने लिखा: “ऊरिय्याह को अग्रिम पंक्ति में रखो जहाँ युद्ध भयंकर हो। तब उसे अकेले छोड़ दो और उसे युद्ध में मारे जाने दो।”
16. योआब ने नगर के घेरे बन्दी के समय यह देखा कि सबसे अधिक वीर अम्मोनी योद्धा कहाँ है। उसने ऊरिय्याह को उस स्थान पर जाने के लिये चुना।
17. नगर (रब्बा) के आदमी योआब के विरुद्ध लड़ने को आये। दाऊद के कुछ सैनिक मारे गये। हित्ती ऊरिय्याह उन लोगों में से एक था।
18. तब योआब ने दाऊद को युद्ध में जो हुआ, उसकी सूचना भेजी।
19. योआब ने दूत से कहा कि वह राजा दाऊद से कहे कि युद्ध में क्या हुआ।
20. “सम्भव है कि राजा क्रुद्ध हो । संभव है कि राजा पूछे, ‘योआब की सेना नगर के पास लड़ने क्यों गई? क्या तुम्हें मालूम नहीं कि लोग नगर के प्राचीर से भी बाण चला सकते हैं?
21. क्या तुम नहीं जानते कि यरूब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मारा? वहाँ एक स्त्री नगर—दीवार पर थी जिसने अबीमेलेक के ऊपर चक्की का ऊपरी पाट फेंका। उस स्त्री ने उसे तेबेस में मार डाला। तुम दीवार के निकट क्यों गये?’ यदि राजा दाऊद यह पूछता है तो तुम्हें उत्तर देना चाहिये, ‘आपका सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मर गया।’”
22. दूत गया और उसने दाऊद को वह सब बताया जो उसे योआब ने कहने को कहा था।
23. दूत ने दाऊद से कहा, “अम्मोन के लोग जीत रहे थे बाहर आये तथा उन्होंने खुले मैदान में हम पर आक्रमण किया। किन्तु हम लोग उनसे नगर—द्वार पर लड़े।
24. नगर दीवार के सैनिकों ने आपके सेवकों पर बाण चलाये। आपके कुछ सेवक मारे गए। आपका सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मारा गया।”
25. दाऊद ने दूत से कहा, “तुम्हें योआब से यह कहना है: ‘इस परिणाम से परेशान न हो। हर युद्ध में कुछ लोग मारे जाते हैं यह किसी को नहीं मालूम कि कौन मारा जायेगा। रब्बा नगर पर भीषण आक्रमण करो। तब तुम उस नगर को नष्ट करोगे।’ योआब को इन शब्दों से प्रोत्साहित करो।”
26. बतशेबा ने सुना कि उसका पति ऊरिय्याह मर गया। तब वह अपने पति के लिये रोई।
27. जब उसने शोक का समय पूरा कर लिया, तब दाऊद ने उसे अपने घर में लाने के लिये सेवकों को भेजा। वह दाऊद की पत्नी हो गई, और उसने दाऊद के लिये एक पुत्र उत्पन्न किया। दाऊद ने जो बुरा काम किया यहोवा ने उसे पसन्द नहीं किया।

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