1Samuel (5/31)  

1. पलिश्तियों ने परमेश्वर का पवित्र सन्दूक एबनेजेर से उसे असदोद ले गए।
2. पलिश्ती परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को दागोन के मन्दिर में ले गए। उन्होंने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को दागोन की मूर्ति के बगल में रखा।
3. अशदोदी के लोग अगली सुबह उठे। उन्होंने देखा कि दागोन मुँह के बल पड़ा है। दागोन यहोवा की सन्दूक के सामने गिरा पड़ा था। अशदोद के लोगों ने दागोन की मूर्ति को उसके पूर्व—स्थान पर रखा।
4. किन्तु अगली सुबह जब अशदोद के लोग उठे तो उन्होंने दागोन को फिर जमीन पर पाया। दागोन फिर यहोवा के पवित्र सन्दूक के सामने गिरा पड़ा था। दागोन के हाथ और पैर टूट गए थे और डेवढ़ी पर पड़े थे। केवल दागोन का शरीर एक खण्ड के रूप में था।
5. यही कारण है, कि आज भी दागोन के याजक या अशदोद में दागोन के मन्दिर में घुसने वाले अन्य व्यक्ति डेवढ़ी पर चलने से इन्कार करते हैं।
6. यहोवा ने अशदोद के लोगों तथा उनके पड़ोसियों के जीवन को कष्टपूर्ण कर दिया। यहोवा ने उनको कठिनाईयों में डाला। उसने उनमें फोड़े उठाए। यहोवा ने उनके पास चूहे भेजे। चूहे उनके सभी जहाजों और भूमि पर दौड़ते थे। नगर में सभी लोग बहुत डर गए थे।
7. अशदोद के लोगों ने देखा कि क्या हो रहा है। उनहोंने कहा, “इस्राएल के परमेश्वर का सन्दूक यहाँ नहीं रह सकता! परमेश्वर हमें और हमारे देवता, दागोन को भी दण्ड दे रहा है।”
8. अशदोद के लोगों ने पाँच पलिश्ती शासकों को एक साथ बुलाया। अशदोद के लोगों ने शासकों से पूछा, “हम लोग इस्राएल के परमेश्वर के पवित्र सन्दूक का क्या करें?” शासकों ने उत्तर दिया, “इस्राएल के परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को गत नगर ले जाओ।” अत: पलिश्तियों ने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को हटा दिया।
9. किन्तु जब पलिश्तियों ने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को गत को भेज दिया था, तब यहोवा ने उस नगर को दण्ड दिया। लोग बहुत भयभीत हो गए। परमेश्वर ने सभी बच्चों व बूढ़ों के लिये अनेक कष्ट उत्पन्न किये। परमेश्वर ने गत के लोगों के शरीर में फोड़े उत्पन्न किये।
10. इसलिए पलिश्तियों ने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को एक्रोन भेज दिया। किन्तु जब परमेश्वर का पवित्र सन्दूक एक्रोन आया, एक्रोन के लोगों ने शिकायत की। उन्होंने कहा, “तुम लोग इस्राएल के परमेश्वर का सन्दूक हमारे नगर एक्रोन में क्यों ला रहे हो? क्या तुम लोग हमें और हमारे लोगों को मारना चाहते हो?”
11. एक्रोन के लोगों ने सभी पलिश्ती सेनापतियों को एक साथ बुलाया। एक्रोन के लोगों ने सेनापतियों से कहा, “इस्राएल के परमेश्वर के सन्दूक को, उसके पहले कि वह हमें और हमारे लोगों को मार डाले। इसके पहले के स्थान पर भेज दो!” एक्रोन के लोग बहुत भयभीत थे। परमेश्वर ने उस स्थान पर उनके जीवन को बहुत कष्टमय बना दिया।
12. बहुत से लोग मर गए और जो लोग नहीं मरे उनको फोड़े निकले। एक्रोन के लोगों ने जोर से रोकर स्वर्ग को पुकारा।

  1Samuel (5/31)