1Samuel (29/31)  

1. पलिश्तियों ने अपने सभी सैनिकों को आपे में इकट्ठा किया। इस्राएलियों ने चश्मे के पास यिज्रेल में डेरा डाला।
2. पलिश्ती शासक अपनी सौ एवं हजार पुरुषों की टुकड़ियों के साथ कदम बढ़ा रहे थे। दाऊद और उसके लोग आकीश के साथ कदम बढ़ाते हुए चल रहे थे।
3. पलिश्ती अधिकारियों ने पूछा, “ये हिब्रू यहाँ क्या कर रहे हैं?” आकीश ने पलिश्ती अधिकारियों से कहा, “यह दाऊद है। दाऊद शाऊल के अधिकारियों में से एक था। दाऊद मेरे पास बहुत समय से है। मैं दाऊद में कोई दोष तब से नहीं देखता जब से इसने शाऊल को छोड़ा और मेरे पास आया।”
4. किन्तु पलिश्ती अधिकारी आकीश पर क्रोधित हुए। उन्होंने कहा, “दाऊद को वापस भेजो! दाऊद को उस नगर में वापस जाना चाहिये जिसे तुमने उसको दिया है। वह हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता। यदि वह यहाँ है तो हम अपने डेरे में अपने एक शत्रु को रखे हुए हैं। वह हमारे अपने आदमियों को मार कर अपने राजा (शाऊल) को प्रसन्न करेगा।
5. दाऊद वही व्यक्ति है जिसके लिये इस गाने में इस्राएली गाते और नाचते हैं: “शाऊल ने हजारों शत्रुओं को मारा। किन्तु दाऊद ने दसियों हजार शत्रुओं को मार!”
6. इसलिये आकीश ने दाऊद को बुलाया। आकीश ने कहा, “यहोवा शाश्वत है, तुम हमारे भक्त हो। मैं प्रसन्न होता कि तुम मेरी सेना में सेवा करते। जिस दिन से तुम मेरे पास आए हो, मैंने तुममें कोई दोष नहीं पाया है। पलिश्ती शासक भी समझते हैं कि तुम अच्छे व्यक्ति हो
7. शान्ति से लौट जाओ। पलिश्ती शासकों के विरुद्ध कुछ न करो।”
8. दाऊद ने पुछा, “मैंने क्या गलती की है? तुमने मेरे भीतर जब से मैं तुम्हारे पास आया तब से आज तक कौन सी बुराई देखी? मेरे प्रभु, राजा के शत्रुओं के विरुद्ध तुम मुझे क्यों नहीं लड़ने देते?”
9. आकीश ने उत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि मैं तुम्हें पसन्द करता हूँ। तुम परमेश्वर के यहाँ से स्वर्गदूत के समान हो। किन्तु पलिश्ती अधिकारी अब भी कहते हैं, ‘दाऊद हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता।’
10. सवेरे भोर होते ही तुम और तुम्हारे लोग वापस जायेंगे। उस नगर को लौट जाओ जिसे मैंने तुम्हें दिया है। उन पर ध्यान न दो जो बुरी बातें अधिकारी लोग तुम्हारे बारे में कहते हैं। अत: ज्योंही सूर्य निकले तुम चल पड़ो।”
11. इसलिए दाऊद और उसके लोग सवेरे तड़के उठे। वे पलिश्तियों के देश में लौट गए और पलिश्ती यिज्रेल को गये।

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