1Chronicles (21/29)  

1. शैतान इस्राएल के लोगों के विरुद्ध था। उसने दाऊद को इस्राएल के लोगों को गिनने का प्रोत्साहन दिया।
2. इलिये दाऊद ने योआब और लोगों के प्रमुखों से कहा, “जाओ और इस्राएल के सभी लोगों की गणना करो। बर्शेबा नगर से लेकर लगातार दान नगर तक देश के हर व्यक्ति को गिनो। तब मुझे बताओ, इससे मैं जान सकूँगा कि यहाँ कितने लोग हैं।”
3. किन्तु योआब ने उत्तर दिया, “यहोवा अपने राष्ट्र को सौ गुना विशाल बनाए। महामहिम इस्राएल के सभी लोग तेरे सेवक हैं। मेरे स्वामी यहोवा और राजा, आप यह कार्य क्यों करना चाहते हैं आप इस्राएल के सभी लोगों को पाप करने का अपराधी बनाएंगे!”
4. किन्तु राजा दाउद हठ पकड़े था। योआब को वह करना पड़ा जो राजा ने कहा। इसलिये योआब गया और पूरे इस्राएल देश में गणना करता हुआ घूमता रहा। तब योआब यरूशलेम लौटा
5. और दाऊद को बताया कि कितने आदमी थे। इस्राएल में ग्यारह लाख पुरुष थे और तलवार का उपयोग कर सकते थे और तलवार का उपयोग करने वाले चार लाख सत्तर हजार पुरुष यहूदा में थे।
6. योआब ने लेवी और बिन्यामीन के परिवार समूह की गणना नहीं की। योआब ने उन परिवार समूहों की गणना नहीं कि क्योंकि वह राजा दाऊद के आदेशों को पसन्द नहीं करता था।
7. परमेश्वर की दृष्टि में दाऊद ने यह बुरा काम किया था इसलिये परमेश्वर ने इस्राएल को दण्ड दिया।
8. तब दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “मैंने एक बहुत मूर्खतापूर्ण काम किया है। मैंने इस्राएल के लोगों की गणना करके बुरा पाप किया है। अब, मैं प्रार्थना करता हूँ कि तू इस सेवक के पापों को क्षमा कर दे।”
9. गाद दाऊद का दृष्टा था। यहोवा ने गाद से कहा, “जाओ और दाऊद से कहोः यहोवा जो कहता है वह यह हैः मैं तुमको तीन विकल्प दे रहा हूँ। तुम्हें उसमें से एक चुनना है और तब मैं तुम्हें उस प्रकार दण्डित करूँगा जिसे तुम चुन लोगो।”
10. गाद दाऊद का दृष्टा था। यहोवा ने गाद से कहा, “जाओ और दाऊद से कहोः यहोवा जो कहता है वह यह हैः मैं तुमको तीन विकल्प दे रहा हूँ। तुम्हें उसमें से एक चुनना है और तब मैं तुम्हें उस प्रकार दण्डित करूँगा जिसे तुम चुन लोगो।”
11. तब गाद दाऊद के पास गया। गाद ने दाऊद से कहा, “यहोवा कहता है, ‘दाऊद, जो दण्ड चाहते हो उसे चुनोः पर्याप्त अन्न के बिना तीन वर्ष या तुम्हारा पीछा करने वाले तलवार का उपयोग करते हुए शत्रुओं से तीन महीने तक भागना या यहोवा से तीन दिन का दण्ड। पूरे देश में भयंकर महामारी फैलेगी और यहोवा का दूत लोगों को नष्ट करता हुआ पूरे देश में जाएगा।’ परमेश्वर ने मुझे भेजा है। अब, तुम्हें निर्णय करना है कि उसको कौन सा उत्तर दूँ।”
12. तब गाद दाऊद के पास गया। गाद ने दाऊद से कहा, “यहोवा कहता है, ‘दाऊद, जो दण्ड चाहते हो उसे चुनोः पर्याप्त अन्न के बिना तीन वर्ष या तुम्हारा पीछा करने वाले तलवार का उपयोग करते हुए शत्रुओं से तीन महीने तक भागना या यहोवा से तीन दिन का दण्ड। पूरे देश में भयंकर महामारी फैलेगी और यहोवा का दूत लोगों को नष्ट करता हुआ पूरे देश में जाएगा।’ परमेश्वर ने मुझे भेजा है। अब, तुम्हें निर्णय करना है कि उसको कौन सा उत्तर दूँ।”
13. दाऊद ने गाद से कहा, “मैं विपत्ति में हूँ! मैं नहीं चाहता कि कोई व्यक्ति मेरे दण्ड का निश्चय करे। यहोवा बहुत दयालू है, अतः यहोवा को ही निर्णय करने दो कि मुझे कैसे दण्ड दे।”
14. अतः यहोवा ने इस्राएल में भयंकर महामारी भेजी, और सत्तर हजार लोग मर गए।
15. परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत को यरूशलेम को नष्ट करने के लिए भेजा।किन्तु जब स्वर्गदूत ने यरूशलेम को नष्ट करना आरम्भ किया तो यहोवा ने देखा और उसे दुख हुआ। इसलिये यहोवा ने इस्राएल को नष्ट न करने का निर्णय किया। यहोवा ने उस दूत से, जो नष्ट कर रहा था कहा, “रुक जाओ! यही पर्याप्त है!” यहोवा का दूत उस समय यबूसी ओर्नान की खलिहान के पास खड़ा था।
16. दाऊद ने नजर उठाई और यहोवा के दूत को आकाश में देखा। स्वर्गदूत ने यरूशलेम पर अपनी तलवार खींच रखी थी। तब दाऊद और अग्रजों (प्रमुखों) ने अपने सिर को धरती पर टेक कर प्रणाम किया। दाऊद और अग्रज (प्रमुख) अपने दुःख को प्रकट करने के लिये विशेष वस्त्र पहने थे।
17. दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “वह मैं हूँ जिसने पाप किया है! मैंने लोगों की गणना के लिये आदेश दिया था! मैं गलती पर था! इस्राएल के लोगों ने कुछ भी गलत नहीं किया। यहोवा मेरे परमेश्वर, मुझे और मेरे परिवार को दण्ड दे किन्तु उस भयंकर महामारी को रोक दे जो तेरे लोगों को मार रही है!”
18. तब यहोवा के दूत ने गाद से बात की। उस ने कहा, “दाऊद से कहो कि वह यहोवा की उपासना के लिये एक वेदी बनाए। दाऊद को इसे यबूसी ओर्नान की खलिहान के पास बनाना चाहिये।”
19. गाद ने ये बातें दाऊद को बताईं और दाऊद ओर्नान के खलिहान के पास गया।
20. ओर्नान गेहूँ दायं रहा था। ओर्नान मुड़ा और उसने स्वर्गदूत को देखा। ओर्नान के चारों पुत्र छिपने के लिये भाग गये।
21. दाऊद ओर्नान के पास गया। ओर्नान ने खलिहान छोड़ी। वह दाऊद तक पहुँचा और उसके सामने अपना माथा ज़मीन पर टेक कर प्रणाम किया।
22. दाऊद ने ओर्नान से कहा, “तुम अपना खलिहान मुझे बेच दो। मैं तुमको पूरी कीमत दूँगा। तब मैं यहोवा की उपासना के लिये एक वेदी बनाने के लिये इसका उपयोग कर सकता हूँ। तब भंयकर महामारी रुक जायेगी।”
23. ओर्नोन ने दाऊद से कहा, “इस खलिहान को ले लें! आप मेरे प्रभु और राजा हैं। आप जो चाहें, करें। ध्यान रखें, मैं भी होमबलि के लिये पशु दूँगा। मैं आपको लकड़ी के पर्दे वाले तख्ते दूँगा जिसे आप वेदी पर आग के लिये जला सकते हैं और मैं अन्नबलि के लिये गेहूँ दूँगा। मैं यह सब आपको दूँगा!”
24. किन्तु राजा दाऊद ने ओर्नान को उत्तर दिया, “नहीं, मैं तुम्हें पूरी कीमत दूँगा। मैं कोई तुम्हारी वह चीज नहीं लूँगा जिसे मैं यहोवा को दूँगा। मैं वह कोई भेंट नहीं चढ़ाऊँगा जिसका मुझे कोई मूल्य न देना पड़े।”
25. इसलिये दाऊद ने उस स्थान के लिये ओर्नोन को पन्द्र पौंड सोना दिया।
26. दाऊद ने वहाँ यहोवा की उपासाना के लिए एक वेदी बनाई। दाऊद ने होमबलि और मेलबलि चढ़ाई। दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की। यहोवा ने स्वर्ग से आग भेजकर दाऊद को उत्तर दिया। आग होमबलि की वेदी पर उतरी।
27. तब यहोवा ने स्वर्गदूत को आदेश दिया कि वह अपनी तलवार को वापस म्यान में रख ले।
28. दाऊद ने देखा कि यहोवा ने उसे ओर्नोन की खलिहान पर उत्तर दे दिया है, अतः दाऊद ने यहोवा को बलि भेंट की।
29. (पवित्र तम्बू और होमबलि की वेदी उच्च स्थान पर गिबोन नगर में थी। मूसा ने पवित्र तम्बू को तब बनाया था जब इस्राएल के लोग मरुभूमि में थे।
30. दाऊद पवित्र तम्बू में परमेश्वर से बातें करने नहीं जा सकता था, क्योंकि वह भयभीत था। दाऊद यहोवा के दूत और उसकी तलवार से भयभीत था।)

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